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How to save him self from overconfidence||अहंकार से कैसे बचे||अहंकार को कैसे हराये


यदि आप अहंकार को सुनते है...



हंकार अकसर क्षेष्ठता की भावना के रूप में अपने को व्यक्ति करता है। यदि आप अहंकार को सुनते हैं, तो आपकी नजर में हमेशा कोई और दोषी होगा। इससे आपकी शांति भंग हो सकती है। इसलिए इसको अपनी जिंदगी से दूर करें।

1. माइंडफुलनेस का अभ्यास करें

     आपका पेशेवर काम और साथ ही व्यक्तिगत काम, यहां तक कि घर का काम, जो हम अकसर अनिच्छा से करते हैं। सब कुछ ठीक से और व्यवस्थित रखें। इससे आप सकारात्मक और दिव्य विचारों से भर जाएंगे। अपने घर, अपने जीवन को ईश्वर का रूप समझें। इस तरह के शुद्ध विचारों के आ जाने से, आपका अहंकार रास्ते में कभी नहीं आएगा।

2. अफसोस या गर्व से बचें

     यदि आप अपनी कमियों या कमजोरियों के लिए खेद महसूस करते हैं, तो इसका मतलब यह भी है कि आप अपने अच्छे गुणों पर गर्व भी करेंगे। दोनों तरह से यह आपके अहंकार को पुष्ट करता है। इसलिए जो भी आपके पास है या जो भी मिला है, उसके लिए ब्रह्मांड के अभारी रहें। खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करते रहें।

3. क्षमा का अभ्यास करें

     अहंकार को दूर करने का एक तरीका क्षमा का अभ्यास करना भी है। हमें उन लोगों को माफ करना सीखना होगा, जो हमें चोट पहुंचाते हैं। क्षमा की भावना से शांति व खुशी आती है। इससे अहंकार की भावना दूर होती है। इसलिए चीजों को स्वीकार करें, जाने दें और जीवन में आगे बढ़ते रहें।

4. दूसरों की मदद करें

     अहंकार, अकसर किसी और के साथ कुछ अच्छा करने की भावना से भी उत्पन्न होता है। यहां यह देखना महत्वपूर्ण है कि आपकी सेवा की भावना क्या है? जब आपको लगता है कि आप कोई सेवा किसी और के लिए कर रहे हैं, तो यहां अहंकार बढ़ने की संभावना ज्यादा रहती है। पर, जब आप उसी सेवा को स्वयं के लिए किया जा रहा मानते हैं, तो यह आपकी स्वतंत्रता का बहुत बड़ कारण बन जाता है।

5. स्वयं के सुधार के लिए जागरुक रहें

     हम जीवन में जो कुछ भी अनुभव करते हैं, वह हमारे अंदर की किसी चीज का प्रतिबिंब ही होता है। जब आप इस सच्चाई को महसूस करेंगे, तो आपके अंदर अहंकार की कोई भावना नहीं रहती। जीवन तब आत्मज्ञान और आपकी अध्यात्मिक प्रगति के विकास में एक अद्भुत दर्पण बन जाता है।  इस आध्यात्मिक सत्य को स्वीकार करें कि हम अन्य लोगों में जो भी विशेषताएं देखते हैं, वे अपने भीतर हैं। दूसरों के व्यवहार पर प्रतिक्रिया करने के बजाय स्वयं के सुधार के लिए अधिक जागरुक बनें।

6. सभी कार्य भगवान को अर्पित करें

     मनुष्य को होने वाली सभी बीमारियों में से अहंकार से उत्पन्न होने वाली बीमारी सबसे खतरनाक है। इसके लिए एकमात्र उपचार दैवीय इच्छा के अनुसार आत्मसमर्पण करना है। इसे शुरु करने का एक तरीका यह है कि आप हर समय ईश्वर के बारे में सोचें, अपने आप को याद दिलाएं कि ईश्वर हर किसी में है और सब कुछ ईश्वर का ही रूप है। इस तरह जब व्यक्ति भगवान को सब कुछ समर्पित कर देता है, तो अहं की बाधा दूर हो जाती है।

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