चाणक्य नीति
स्त्री के विषय में अनोखी बातें
एक छोटे से साधारण पहाड़ को ऊँगली पर उठा लेने के
कारण ही तो श्री भगवान को गोवर्धनधारी कहा गया।
किन्तु स्वयं तीनों लोकों को धारण करने वाले
श्री भगवान को वहीं नारी गोवर्धनधारी को कुच्चों के अग्रभाग पर धारण करती है।
अब आप स्वयं ही सोचिए, कि यदि तीनो लोकों के
मालिक को नारी अपने जाल में फाँस सकती है, तो साधारण प्राणी का क्या हाल होगा।
नारी ईश्वर से अधिक शक्तिशाली और बोझ उठाने वाली
है।
मैंने इस संसार के बन्धनों से मुक्त होने के लिए
न तो भगवान की पूजा की और न हो औरत के इस कोमल शरीर का आनन्द लिया।
मुझे तो ऐसा प्रतीत होता है कि मैंने
अपनी माँ की दी हुई जवानी को किसी तेज धार के कुल्हाड़े से काट डाला।
मनुष्य को इस संसार में रहकर कुछ न कुछ न कुछ
करते रहना चाहिए। यहाँ माया जाल रूपी दुनिया है। इसलिए अपने आपको पापों से बचने के
लिए, भगवान की पूजा करनी चाहिए।
यदि आप ऐसा नहीं कर सकते तो नारी से प्रेम करना
चाहिए।
केवल प्रेम और योनांगों के आनन्द में एक लम्बा
फासला होता है। यदि आप औरत का आनन्द लेना चाहते है तो प्यार करना सीखो।
जीवन के इस लम्बे सफर में यह सोचकर चलें कि कभी
भी आप पर बुरा समय आ सकता है, इसलिए ऐसे समय के लिए थोड़ा बहुत धन अवश्य बचाकर
रखना चाहिए। जब भी कभी इंसान पर बुरा समय आता है तो उसके अपने भी पराए हो जाते
हैं। यदि धन उसके पास हो तो वह इस समय का मुकाबला कर सकता है।
नारी और धन दोनों ही कभी भी धोखा दे सकते हैं।
इन दोनों के बारे में सदा होशियार रहें।
लड़की यदि अच्छे खानदान की हो भले ही सुन्दर न
हो तो भी शादी उसी से करनी चाहिए। शादी वहीं पर करे जो लोग अपने बराबर के हो।
पुरुष की तुलना में नारी का आहार
दो गुना, शर्म चार गुनी, साहस छः गुना, और कामवासना आठ गुनी अधिक होती है।
नारी पुरुष की अपेक्षा कहीं अधिक
कोमल होती है, किन्तु वह पुरुष से अधिक भोजन करती है। इसी कारण उसमें वासना की आग
पुरुष से अधिक होती है। नारी फल भी है और पत्थर भी।
राजा-पत्नी, गुरु-पत्नी और सांस,
माता के समान होती है। इसलिए इनको बुरी नजर से नहीं देखना चाहिए। इनका माँ के समान
ही आदर करना चाहिए।
ऐसा न करने वाले महापापी कलंकी
होते है। उन लोगों की तो छाया से भी बचना चाहिए।
इस संसार में बन्धन तो बहुत हैं।
किन्तु प्यार से बड़ा बन्धन और कोई नहीं। लकड़ी में सुराख करने वाला औजार कमल के
फूल में सुराख नहीं कर सकता।
इसी तरह औरत से प्यार करने वाला
बन्धन अत्यन्त शक्तिशाली होता है, जैसे फूलों का सारा रस चूस लेने वाला भंवरा
लकड़ी में सुराख नहीं कर सकता। वह भंवरा फूलों की पंखड़ियों का ह्रदय बहुत आराम से
चीरकर रस चखने पहुँच जाता है।
क्यों
इसलिए कि उसे वहाँ पर प्यार मिलता
है
इससे यह बात पूर्ण रूस से स्पष्ट
हो जाती है कि प्यार से ही संसार को जीता जा सकता है।
जो पागल यह समझते हैं कि कोई
सुन्दर लड़की उनके प्यार के जाल में फँस गई है। ऐसै लोग प्रेम जाल में अंधे होकर
बन्दर की भाँति उसके इशारों पर नाचा करते हैं।
जो औरत दूसरों से प्यार करती है।
दूसरों की ओर देखती है। उस औरत का प्यार कभी भी धोखा दे सकता है। ऐसी औरत से सदा
दूर रहना चाहिए। क्योंकि वे किसी एक की होकर नहीं रह सकती।
जो नारी अपने पति कहा कहना नहीं
मानती, और फिर व्रत रखती है, ऐसी नारियाँ अफने पति की आयु को कम करती हैं, इसलिए ऐसी नारियों को यह सोचना चाहिए कि पति की
आज्ञा के बिना चलना उनके लिए कभी भी लाभदायक नहीं हो सकता।
स्त्री न तो दान देकर और न ही तीर्थ यात्रा करके पवित्र हो सकती है। पाप करने से पूर्व उन्हें यह सोच लेना चाहिए कि यह कभी भी नहीं धुलता। नारी जब भी कभी स्वर्ग केवल पति की सेवा से ही प्राप्त हो सकता है।
झूठ, बेईमानी, धोखा, फरेब, छल, कपट
और क्रोध यह औरत के सबसे बड़े दोष माने जाते हैं।
यदि कोई नारी इनमें से किसी एक को
भी शिकार हो जाती है तो इसमें हैरान होने की कोई बात नहीं। ऐसा हो जाना स्वाभाविक
है।
वह नारी उत्तम मानी जाती है जो
पवित्र हो, चालाक हो पतिव्रता हो। जो अपने पति से प्रेम करती हो, सत्य बोलती हो,
ऐसे गुणों वाली औरत जिस घर में भी होगी वह घर सदा सुख के झूलों में झूलेगा। उस घर
में खुशियाँ ही खुशियाँ होंगी। उसी घर का भाग्यशाली घर कहा जा सकता है।
इस संसार का हर प्राणी औरत को
पालने की आशा करता है। यहाँ तक कि बड़े-बड़े विद्वान, महापण्डित, ज्ञानी, देवता,
आखिर यह सब क्यों होता है। यह आपने कभी सोचा।
इस संसार की सबसे बड़ी शक्ति कौन
सी है?
क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि इस
संसार को जीत लेने वाला पुरुष उस शक्ति के आगे ऐसे पिघल जाता है जैसे आग के समाने
मोम।
वह शक्ति-नारी की जवानी और उसकी
सुन्दरता।
अत्यन्त सुन्दर औरत का शरीर क्या
है?
माँस, हाड़ और उसके यौवनांग।
पुरुष इसी में खो जाना चाहता है।
किन्तु सबसे बड़ा नर्क है। आप इससे जितना भी बेचकर रहेंगे, उतना ही लाभ होगा।
औरत कितनी भी बड़ी हो जाए, किन्तु
वह अपने को सदा सुन्दर और जवान ही समझती रहती है। उसकी यही इच्छा होती है कि वह
सदा जवान रहें ताकि पुरुष उसके पीछे-पीछे घूमता रहे।
औरत के चेहरे की सुन्दरता और उसके
शरीर की बनावट पर ही तो पुरुष मरता है। यही कारण है कि वह एक औरत के साथ रहते हुए
भी किसी दूसरी औरत को बुरी नजरों से देखता है।
मासिक धर्म के पश्चात नारी कुंवारी लड़की जैसी ही पवित्र हो जाती है। पुरुष को यह सलाह दी जाती है कि वह भूलकर भी मासिक धर्म के दिनों में औरत से सम्भोग न करें।
इस दुनिया में अधिकतर युद्ध,
दुर्घटनाएँ केवल नारी के ही कारण हुई है। इसलिए बुद्धिजीवी को यही सलाह दी जाती है
कि ये औरत के इस माया जाल से दूर रहें।
जो नारी सुबह के समय अपने पति की
सेवा, माँ के समान करती है और दिन में बहन के समान प्यार देती है।
और राम में वेश्या की भाँति, उसे
अपने शरीर का आनन्द दे उसे ही सत्य से अच्छी और गुणवान पत्नी माना जाता है।
परिवार के झगड़ो के पीछे अधिकतर
हाथ नारी का ही होता है। इसलिए बुद्धिमान पुरुषों को यह सोच लेना चाहिए कि केवल
औरत के पीछे लड़ने झगड़ने का काई लाभ नहीं।
यह थे नारी के बारे में चाणक्य जी
के विचार। इन थोड़े से शब्दों में महापण्डित चाणक्य ने औरतों के बारे में पूरा
ज्ञान दिया है। जैसे किसी ने कूंचे में दरिया को बन्द कर दिया हो।

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