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कैसे करें दिमाग को तन्दुरुस्त।।दिमाग को बनाएँ मजबूत।।The Brain Exercise


हर दिन जरूरी है दिमागी मशक्कत







     यदि आप खुद पर, अपनी क्षमताओं या अपने निर्णयों पर संदेह करते हैं, तो आप अपने प्रदर्शन को नुकसान पहुंचाएंगे। और सबसे अधिक संभावना है कि आप अपनी शारीरिक और मनोवैज्ञानिक सेहत को खतरे में डालेंगे। लेकिन कुछ अभ्यास से अपने दिमाग को बेहतर सोचने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

      आपके मस्तिष्क में उम्र बढ़ने के साथ सीखने और बढ़ने की क्षमता होती है। लेकिन ऐसा करने के लिए आपको इसे नियमित आधार पर प्रशिक्षित करना होगा। आपके दिमाग में रोजाना लगभग 70,000 विचार आते हैं। मतलब हर दिन खुद को बनाने या बिगाड़ने के 70,000 मौके मिलते हैं आपको। हावर्ड युनिवर्सिटी से संबंद्ध इंस्टीट्यूट फॉरएजिंग के सोशल एंड हेल्थ पॉलिसी के शोधकर्ता डॉ. जॉन एन मॉरिस कहते हैं, ‘बढ़ती उम्र के साथ आखिरकार, आपका संज्ञानात्मक कौशल व्यर्थ हो जाएगा। सोच और स्मृति अधिक चुनौतीपूर्ण हो जाएगी, इसलिए इसे संरक्षित करने की आवश्यकता है। इसके लिए एक नई गतिविधि को गले लगाएं, जो आपको सोचने और सीखने के लिए मजबूर करे। यह अभ्यास मस्तिष्क को स्वस्थ रखने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक हो सकता है।’

       फिजिकल और मेंटल हेल्थ रिसर्च से पता चला है कि नियमित शारीरिक व्यायाम संज्ञानात्मक कौशल, जैसे स्मृति, समस्या समाधान, एकाग्रता और अटेंशन को सुधारने का एक तरीका है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि क्या भौतिक पहलू अकेले आपके मस्तिष्क को बढ़ाता है या इसके साथ अन्य बातों और गतिविधियों को मिलाकर काम करना होगा, जैसे कि किसी एक्टिविटी की मानसिक चुनौती, जिसे आप लगातार करते हैं। उदाहरण के लिए, तैराकी करना। यह ह्रदय और मांसपेशियों को मजबूत बनाता हैं, लेकिन इसमें निरंतर सोच, प्रोसेसिंग और सीखना भी शामिल है, जो आपके दिमाग को ज्यादा सक्रिय बनाता है।

लिखते रहने के फायदे

      एक शोध में सामने आया है कि डायरी लिखने से मस्तिष्क की कार्यक्षमता बढ़ती है, क्योंकि इसके लिए आपको दिनभर की घटनाओं को याद करना पड़ता है। और जब आप लिखते हैं, तो इस दौरान आपको दिमाग, शरीर और भावनाओं के बीच में संतुलन भी बनाकर रखना पड़ता है।

कोई दूसरी भाषा सीखें

      रोजाना एक ही काम करते रहने से सिर्फ शरीर ही नहीं थकता, मन भी थकता है। इसलिए आपको हमेशा कुछ-न-कुछ नया करते रहने की कोशिश करनी चाहिए। जैसे कोई नई भाषा कोई भी नई भाषा सीखना। इसमें दिमाग को मेहनत लगती है। इससे आपकी तार्किक क्षमता व एकाग्रता भी बढ़ती है। बहुत से शोधों में भी पाया गया है कि पेंटिंग और अन्य कला जैसे म्यूजिकल इंस्ट्रूमेंट सीखना, लेखन करना या कोई एक भाषा सीखना संज्ञानात्मक कौशल को बढ़ाने का काम करता है।

कुछ न कुछ पढ़ते रहें

      किताब पढ़ते रहने की आदत भी आपके दिमाग के लिए अच्छा है। खासकर सोने से पहले आगर आप रोजाना किताब पढ़ते हैं, तो आपके दिमाग की दो कोशिकाओं के तार जुड़ जाते हैं, और आपने जो भी पढ़ा, वो आपकी याददाश्त में शामिल हो जाता है। इससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है। 

मन को हल्का रखें

      दिमाग को इसके लिए तैयार करें कि मन में जो भी नकारात्मक विचार आए, उसे बाहर निकालना है। परेशान करने वाली बातें अपने किसी खास से बताएँ। इससे दिमाग पर पड़ी रही नकारात्मकता कम होगी और आपको राहत भी महसूस होगी। इसके साथ आपको अपनी नींद के पैटर्न पर भी ध्यान देना होगा। एक शोध में कहा गया है कि हमारे दिमाग के बेवजह के विचार, केमिकल्स आदि को साफ करने वाली स्वाभाविक प्रक्रिया को सही तरीके से काम करने के लिए 6-8 घंटे की नींद जरूरी है। इसके बिना न्यूरो-टॉक्सिन से छुटकाना नहीं मिलता। ये टॉक्सिन उम्र के साथ याददाश्त की समस्याओं के रूप में सामने आता है।




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