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पूर्ण जीवन स्वस्थ रहने के 5 नियम।। पानी पीने का तरीका बनायेगा आपको स्वस्थ

5 Key Principles for Building health: Insights from 'Rishi Vhagbhatt Book Astanghriday'

      नमस्कार मित्रों.. आज मैं आपको इस पोस्ट के माध्यम से स्वस्थ रहने के 5 ऐसे नियमों के बारे बताने जा रहा हूँ जो वर्षों पहले हमारे भारत के महान ऋषि वागभट्ट जी ने अपनी पुस्तक अष्टांगह्रदय में लिखे थे। जिनको पुनः राजीव दीक्षित जी के द्वारा बताया गया था। वागभट्ट जी ने अपनी पुस्तक अष्टांगह्रदय में 7000 सूत्र लिखें हैं। उन्हीं 7000 सूत्रों का निचोड़ राजीव दीक्षित जी ने 5 सूत्रों में सरल भाषा में बताया है। आज मैं भी आपको वह 5 सूत्र बताना चाहता हूँ।

     यदि आपको जीवन में सदैव स्वस्थ रहना है और सभी बीमारियों से सदैव बचना है तो कृपया इन 5 सूत्रों को हमेशा याद रखें और अपने जीवन में इन 5 सूत्रों का सदैव ही पालन करें। यह 5 सूत्र बहुत ही सरल हैं। आप इन सूत्रों का बहुत ही सरलता से पालन कर सकते हैं। बस, आपको शुरु में धैर्य रखने की आवश्कयता है। यह पाँचों सूत्र आपके जल ग्रहण करने के तरीकों के ऊपर हैं। इन सूत्रों में आपको पानी पीने के तरीकों के बारे में बताया जायेगा जीवन में स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने के 5 सूत्र आपको बताने जा रहा हूँ। आपसे विनती है कि यदि आपको यह सूत्र अच्छे लगें तो कृपया इनका पालन करें और साथ ही साथ इनको अपने प्रिय जन तक अवश्य पहुँचायें।:.......

1. भोजन करने के बाद कभी भी तुरंत पानी न पियें।

     जी हाँ, भोजन करने के तुरंत बाद कभी भी पानी न पियें। आप पूछोगे क्यों न पियें, बिना पानी पिये हमारा भोजन गले से नीचे ही नहीं जाता। तो, मैं आपको बताना चाहूँगा कि वर्षों पहले वागभट्ट जी ने साफ-साफ मना किया है कि भोजन करने के तुरंत बाद पानी कभी भी नहीं पीना चाहिए। क्योंकि हमारे पेट में नाभि से थोडा ऊपर बाएं तरफ एक जठर स्थान होता है। जहाँ, भोजन शुरु करते ही अग्नि जलती है जो भोजन को पचाने का कार्य करती है। जैसे ही आप अपने भोजन का पहला ग्रास ग्रहण करते हैं। वैसे, ही जठर अग्नि जलनी शुरु हो जाती है और भोजन को पचाने में लग जाती है। यदि आप भोजन के बीच में या भोजन के अंत में तुरंत पानी पीते हैं तो अग्नि भुज जाती है और आपका भोजन पचता नहीं है। फिर, वह भोजन आपके पेट में सड़ता है और आपको कई बीमारियों का शिकार बना देता है। जैसे आपके पेट में गैस बननी शुरु हो जायेगी और आपका वजन बड़ना शुरु हो जायेगा। फिर, आप पूछोगे कि पानी कब पियें तो वागभट्ट जी ने अपनी पुस्तक में बताया है कि भोजन करने के 1.5 घंटा बाद ही पानी पियें। उससे पहले पानी न पियें। फिर आप कहोगे तो प्यास लगेगी तो क्या करे। तो, उसके लिए भी वागभट्ट जी ने बताया है कि आप भोजन करने के बाद फल का जूस या छाछ/मठा पीकर अपनी प्यास बुझा सकते हो। लेकिन आपको पानी 1.5 घंटे बाद ही पीना चाहिए।

2. हमेशा पानी बैठ कर पियें।

     आपको पानी हमेशा बैठकर ही पीना चाहिए। अब आप के मन में सवाल आयेगा कि बैठकर ही क्यों तो इसका उत्तर है। जब आप कुछ खाते हो तो वह सोलिड पदार्थ होता है इसलिए शरीर के अन्दर आराम से जाता है। लेकिन जब आप पानी खड़े होकर पीते हो तो बहुत तेजी के साथ शरीर के अन्दर जाता है क्योंकि पानी लिक्विड में होता है। इसलिए, खड़े होकर पानी पीने से आपको हार्निया और अपेन्डिक्स जैसी खतरनाक बीमारियाँ हो सकती हैं। इसलिए, सदैव पानी बैठकर ही पीना चाहिए।

3. पानी हमेशा घूँट-घूँट कर पानी चाहिए।

     पानी को हमेशा घूँट-घूँट यानी मुँह में उतना ही लें जितना एक चम्मच में आता है और उसको मुँह में थोड़ी देर घुमा कर ही अन्दर ले जाए। ऐसा करने से मुँह की लार अधिक मात्रा में पेट के अन्दर जायेगी। जिससे पेट का अम्ल शान्त होगा और आपका पेट न्युट्रल रहेगा। सभी जानवर पशु, पक्षी घूँट-घूँट कर या चाट-चाट कर पानी पीते हैं इसलिए ये मनुष्य से ज्यादा स्वस्थ हैं। पानी घूँट-घूँट कर पीने से वजन नहीं बढ़ता है अर्थात शरीर की बनावट के हिसाब से सन्तुलित रहता है।

4. ठंडा पानी यानी फ्रिज का पानी भूल कर भी न पियें।

     ठंडा पानी कभी न पियें। शरीर के तापमान के बराबर का ही पानी पियें मतलब गुनगुना पानी पियें अर्थात 270 से 370 के बीच का ही पानी पियें। मिट्टी के बर्तन का पानी 270 तापमान का होता है। ऐसा मिट्टी की तासीर के कारण होता है। अब आप पूछोगे कि ठंडा पानी पीने से क्या दिक्कत। तो, दिक्कत यह है कि ठंडा पानी पीने से पेट को उसे सामान्य तापमान पर लाने के लिए अतिरिक्त ऊर्जा की जरूरत होती है और अतिरिक्त ऊर्जा के ले अतिरिक्त खून की जरूरत होती है। जिससे कि अलग-अलग हिस्सों से इसकी पूर्ति होती है। इससे उन हिस्सों में खून की कमी होने लगती है और ऐसा बार-बार करने से कई बामारियाँ शरीर में जन्म लेने लगती हैं। इस क्रिया में गुरुत्वाकर्षण बल के कारण सबसे ज्यादा दिमाग से रक्त आता है, उसके बाद ह्रदय का रक्त आता है। रक्त की कमी के कारण अंग काम करना बन्द कर देते हैं। इसलिए इसके कारण ब्रेन हैमरेज, लकवा, ह्रदय घात जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं। ठंडा पानी पीने से सबसे पहली बीमारी कोष्ठबद्धता की होती है। क्योंकि ठंडा पानी पीते रहने से बड़ी आंत संकुचित हो जाती है।

5. सुबह उठते ही सबसे पहले पानी पियें।

     जी, हाँ बिल्कुल सुबह उठते ही बिना कुल्ला करे, बिना फ्रेश हुए, सबसे पहले पानी ही पिये। अधिक लाभ के लिए गुनगुना पानी पियें या फिर ताँबे के बरतन का रात का रखा हुआ पानी पियें। अब आप पूछोगे कि ऐसा क्यों बिना कुल्ला किये, बिना फ्रेश हुए कैसे और क्यों? तो इसका साधारण सा उत्तर है कि सुबह-सुबह आपके मुँह की लार आपके लिये बहुत लाभदायक है जो कि हमारे शरीर के अन्दर ही जानी चाहिए। जिससे हमें स्वस्थ रहने में बहुत सहायता मिलती है। लेकिन आप लोग इतनी कीमती लार को कुल्ला कर के बाहर निकाल देते हो। सदैव याद रखे, कि सुबह उठते ही सबसे पहले पानी पियें।


याद रखें, यदि आप इन नियमों को अपने जीवन में उतारते हैं। तो, आपको स्वस्थ रहने से कोई नहीं रोक सकता। जीवन का मूल धन ही स्वस्थ रहना है और हमें स्वस्थ रहने का पूर्ण प्रयास करना चाहिए। इसलिए आपसे प्रार्थना है कि आप इन नियमों का ध्यान पूर्वक पालन करें और अपने परिवार व मित्रों तक यह बात अवश्य पहुँचाये। धन्यवान।।

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