Exercise_50
आशा की जाती है कि राष्ट्रपति को अधिकाधिक चाहने वाले आज प्रातः काल अपने बाल बच्चे भाई-बहन और बाप-दादों को साथ ही साथ लिये बड़ी धूमधाम से राष्ट्रपति भवन में आये होंगे। ऐसे समय में प्रायः यह देखा जाता है कि जनता भी अधिक से अधिक तादाद में जमा हो जाती है। इस बार तो यह सुना जाता है कि गेट पर एक से अधिक पहरेदार एक दूसरे को धक्के देने वाले लोगों को चुपके से तितर-बितर कर देते हैं। परन्तु जो डील-डौल से साफ-साफ भले आदमी मालूम देते हैं उन्हे रोकने की आशा नहीं की जा सकती। इस समय बहुत से लोगों ने राष्ट्रपति का फल-फूल तथा अन्य प्रकार की चीजों से स्वागत किया। इसका उत्तर देते हुए राष्ट्रपति महोदय ने कहा कि आजकल यह आवश्यक है कि प्रातः काल होते ही हम देश-विदेश के हाल-चाल पढ़े। ऐसी घटनायें आये दिन होती हैं या होती रहती हैं और उनकी खबर भी हाथों-हाथ आती ही रहती है। विशेष जाँच पढ़ताल करने पर पता लगता है कि संसार की सुख शांती उत्तरोत्तर नाश की ओर बढ़ती जाती है। ऐसी दशा में यह तो निश्चित ही है कि भावी वैदेशिक हलचल में भारतवर्ष बिल्कुल चुपचाप नहीं बैठ सकता।
--कुल शब्दः 196--

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