स्त्री का अपमान
आज के समय में स्त्री का सम्मान करने वाले लोग बहुत कम देखने को मिलते हैं।
जहाँ देखों वहीं स्त्री का अपमान हो रहा है परन्तु अपमान करने वालो को यह नहीं
दिखता कि वो स्त्री का अपमान नहीं बल्कि अपने बुरे समय को आमंत्रण कर रहे हैं।
भगवान श्री राम ने स्त्री ताड़का का वध किया। जिसके फल स्वरूप उनको 14 वर्ष
वनवास भोगना पड़ा। लक्ष्मण जी ने स्त्री सूपड़खा की नाक काटी थी। जिसके फल स्वरूप
उनको शक्ति बाण लगने पर मेघनाथ से युद्ध में हार प्राप्त हुई। हनुमान जी ने स्त्री
लंकनी पर मुस्ठी प्रहार किया। जिसके फल स्वरूप उनको मेघनाथ द्वारा बंदी बनाया गया
और उनकी पूछ में आग लगा दी गई। दुर्योधन, कर्ण और दुःशासन के द्वारा द्रोपधी का
अपमान किया गया। जिसके कारण इन तीनो को घनघोर मृत्यु प्राप्त हुई। अतः आप लोग ये
पढ़ के इतना तो समझ गये होंगे कि स्त्री का अपमान करके भगवान तक नहीं बच पाये तो
आप किस खेत की मूली है।
जो लोग स्त्री पर हाथ उठा कर अपने आप को शूरमा समझते हैं वह ये भूल जाते हैं
कि अगर स्त्री ने हाथ उठाया तो वे दुनिया से उठ जायेंगे। ये लोग स्त्री के आदर्श
को उनकी कमज़ोरी समझते हैं। वे समझते हैं कि जब चाहों तब स्त्री पर हाथ उठा लो। जब
चाहों तब स्त्री का अपमान कर दो। जब चाहों तब स्त्री से ऊँची आवाज में बात कर लो।
इन लोगों को ज्ञात नहीं की ये अपने जीवन की कितनी बड़ी मूर्खता करते हैं। जिसके
कारण इनका आने वाला जीवन नष्ट हो सकता है।

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