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चतुर बनिया हिन्दी कहानी।।चालाक बनिया।।hindi story of clever Baniya


चतुर बनिया





एक बनिया था। वह बहुत कंजूस था। वह कभी दान नहीं करता था। गरीबों की कमाई से अपनी तिजोरी भरता था। उसने मरते वक्त एक बूढ़ी गाय जो आजकल में मरने वाली थी एक ब्राह्मण को दान कर दी। बनिया मर गया तथा ब्राह्मण के घर पहुँचते ही वह गाय भी मर गई।

     यमराज के यहाँ यमलोक में दरबार लगा। यमराज ने कहा। इस बनिये ने कभी दान धर्म नहीं किया। यह गरीबो के जीवन भर की कमाई से अपनी तिजोरी भरता रहा है। इसे नरक में भेजना चाहिए। किन्तु इसने मरते वक्त एक बूढ़ी गाय दान किया था। सो इसे एक दिन रात बैकुण्ठ का सुख दे देते हैं। यमराज ने बनिये से पूछा कि पहले नरक भोगोगे या बैकुण्ठ का सुख।

     बनिये ने कहा पहले मैं स्वर्ग का सुख भोग करूँगा। यमराज ने कहा बनिये इस गाय को जो तुम कहोगे यह मानेगी। बनिये ने गाय से कहा गया तुम इस यमराज को मारो। गाय हुंकार भरने लगी तथा यमराज को मारने दौड़ी। यमराज भागने लगा। यमराज भागते-भागते कैलाश-पर्वत पर भगवान शंकर के पास पहुँचा। 

     भगवान शंकर उसे कुछ उपाय बता भी नहीं पाये कि गाय और बनिया पहुँच गये। पहुँचते ही बनिया ने गाय से शंकर को मारने को कहा। शंकर भी यमराज के पीछे-पीछे भागने लगे। दोनो भागते-भागते ब्रह्मा जी के पास पहुँचे। इससे पूर्व ब्रह्मा जी कुछ उपाय करते गाय और बनिया वहाँ पहुँच गये। बनिया के अज्ञानुसार गाय ब्रह्मा को भी मारने दौड़ी।

      यमराज, शंकर व ब्रह्मा भागते-भागते विष्णु भगवान के पास पहुँचे। पीछे-पीछे गाय और बनिया भी वहाँ पहुँच गए। जैसे ही दोनो विष्णु भगवान के पास पहुँचे वरदान का समय समाप्त हो गया। यमराज क्रोधित मुद्रा में सोटा लेकर बनिये को मारने दौड़े। भगवान विष्णु ने यमराज को रोका उन्होंने समझाते हुए तीनो से कहा भाई जो हम तीनो देवो के दर्शन करता है वह स्वर्ग का अधिकारी होता है। बनिये की चतुराई ने उस कंजूस बनिये को भी स्वर्ग प्राप्त करा दिया।



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