खाने की आदतों से जुड़ी है मन की सेहत
अलबामा यूनिवर्सिटी द्वारा कराए गए एक शोध के मुताबिक सेहतमंद जिंदगी के लिए सिर्फ सही खाना ही जरूरी नहीं, बल्कि हम उसे कैसे और कब खाते हैं, इसका भी असर हमारे मन और शरीर पर होता है। जानिए, खाने की आदतों में सुधार कर आप अपनी सेहत को कैसे रख सकते हैं दुरुस्त
बहुत से लोगों का कहना है कि उन्हें समझ ही नहीं आता कि कब खाना है और कितना खाना है? ऐसा इसलिए, कि वे ज्यादातर समय या तो व्यस्त होते हैं या टीवी और मोबाइल देखते हुए खा रहे होते हैं। इससे वे अपने शरीर से महत्वपूर्ण संदेशों को लेने में विफल रहते हैं। वास्तव में, भूख लगने पर भोजन करना और फिर एक बार जब आपका पेट भर जाता है, तो रुक जाना, आपके पेट और पाचन को स्वस्थ रखने का सबसे अच्छा तरीका है। अपने शरीर की सुनने और उसके अनुरूप भोजन करने का अभ्यास करें। यह खाने की उन आदतों को रोकने में भी फायदेमंद साबित होगा, जो शरीर पर अनावश्यक दबाव डाल कर आपकी सेहत को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। अध्ययनों से यह भी पता चला है कि खाने की स्वस्थ आदतें अवसाद और चिंता के लक्षणों को कम करने में मददगार हैं। वहीं खाने की खराब आदतों को डिमेंशिया या स्ट्रोक के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है।
नाश्ते को नजरअंदाज करना
वजन घटाने के लिए कुछ लोग भोजन छोड़ देते हैं। लेकिन यह तरीका आपको बीमार भी कर सकता है। या हो सकता है कि कुछ देर की फास्टिंग के बाद आप कुछ ज्यादा ही खा लें। इसलिए सुबह का नाश्ता महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह आपकी पाचन प्रक्रिया को तेज करता है और आफको दिन के दौरान अधिक दमखम से कार्य करने के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करता है। कुछ लोग खाने में फाईबर की मात्रा पर खास ध्यान नहीं देते, जबकि भोजन की यह तत्व आमतौर पर पाचन तंत्र के माध्मय से धीरे-धीरे आगे बढ़ता है, जिससे आपका पेट लंबे समय तक भरा रहता है। यह मधुमेह और ह्रदय रोग के जोखिम को कम करते हुए कोलेस्ट्रॉल व ब्लड शुगर को कम करने में भी मदद करता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि आप बार-बार खाने की आदस से छुटकारा पा जाते हैं। इसको खाने से पेट भरा-भरा सा लगता है। पौधा आधारित खाद्य पदार्थों से मिलने वाले फाइबर आपके शरीर में ग्लूकोज को धीरे-धीरे अवशोषित करने में मदद करते हैं। फाइबर युक्त खाद्य पदार्थों में फल, सब्जियाँ और पोषक तत्वों से भरपूर कार्ब्स, जैसे-साबुत अनाज और बीन्स शामिल हैं।
भोजन के बीच क्या अंतराल
अच्छे स्वास्थ्य और जीवनशक्ति को बनाए रखने के लिए भोजन के बीच पांच घंटे से अधिक का अंतर रखें। यदि आप दिन भर खाते रहते हैं, तो कोशिकाएं लंबे समय तक अशुद्धियों को बरकरार रखती हैं, जो कई स्वास्थ्य समस्याएँ पैदा करती है। यहां तक कि अंतों से उत्सर्जन की प्रक्रिया भी कुशलता से नहीं हो पाती है और यह शरीर के साथ मानसिक अशांति का कारण भी बनता है। वहीं, जब हमारा पेट खाली होता है, तो हमारा शरीर और दिमाग सबसे अच्छा काम करते हैं। इसलिए भओजन के बीच जितना लंबा अंतराल (आदर्श रूप से 7 से 8 घंटे) होगा, उतनी ही जल्दी आफ सभी सेहत समबंधी समस्याओं से निजात पा सकेंगे।
आप जो खाते हैं, उसके लिए आभारी रहें
खाने के समय आपका मूड और ऊर्जा आपके भोजन में स्थानांतरित होने वाली है। इसलिए हमेशा सुनिश्चित करें कि आपका मन भोजन के लिए सकारात्मकता और कृतज्ञता से भरा हो। हम भोजन को तैयार करते समय उसमें प्रवेश करने वाली अशुद्धियों को पूरी तरह से नियंत्रित नहीं कर सकते, लेकिन हम भोजन को सकारात्मकता से चार्ज करके अपनी रक्षा तो कर ही सकते हैं। इसलिए रोजाना भोजन के लिए यूनिवर्स को धन्यवाद जरूर दें। खाना शुरु करने से पहले मंत्रों का जाप या धन्यवाद की प्रार्थना भी कर सकते हैं। इससे आप न केवल अधिक मन लगाकर खाएंगे। बल्कि आप यह भी देखेंगे की भोजन के बाद आफ अधिक संतुष्ट और ऊर्जावान हैं।
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