खुशी पाने का एक साधन है करुणा
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करुणा आपको यह समझने में मदद करती है कि दूसरे क्या महसूस कर रहे हैं। साथ ही
आपको दूसरों की मदद करने और अपने दुखों को दूर करने के लिए भी प्रेरित करती है।
इसलिए हमें अपने अंदर करुणा व दया भाव को बढ़ावा देना चाहिए। ये कुछ तरीके हैं,
जो आपकी मदद कर सकते हैं।
अपने जीवन में करुणा क्यों विकसित करें? इस पर हुए वैज्ञानिक अध्ययन सुझाव
देतें हैं कि करुणा का अभ्या करने से शरीर में तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन कार्टिसोल
का उत्पादन 23 फीसदी कम हो जाता है, वहीं उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करने
वाले हार्मोम का उत्पादन सौ फीसदी बढ़ जाता है। करुणा आफको दूसरों से जोड़ती ही
नहीं है, बल्कि आपकी खुशी को बढ़ाने का भी काम करती है। इसलिए आप अपने जीवन में
करुणा और दया भाव को आने दें।
1. हमेशां चीजों को अच्छे या बुरे के रूप में लेबल करने के बजाय उन्हें महसूस करने पर ध्यान केंद्रित करें। जब आप दूसरों को आंकना बंद करेंगे, तो आप खुद ही अधिक दयावान बन जाते हैं। जरूरी नहीं कि आपके आसपास के लोग आपकी उम्मीद पर खरे उतरें। ऐसे में खुद को यह याद दिलाते रहना ठीक रहेगा कि हर कोई अपना सर्वश्रेष्ठ कर रहा है, जिसमें आप खुद भी शामिल हैं। अगर आप खुद को जज करते रहेंगे, तो संभव है आप हमेशा दूसरों को भी जज करते रहेंगे। तो पहले खुद पर यह अभ्यास करें। धीरे-धीरे आप दूसरों के प्रति भी अधिक दयावान बन जाएंगे।
2.दूसरों को सुनने का भी अभ्यास करें। जब आप दूसरों को सुनने के लिए समय निकालते हैं, तो आप उस व्यक्ति से उसी भावना से जुड़ते हैं, जो हम सभी में मौजूद है। आफ खुद को दूसरे व्यक्ति में देखते हैं। इस तरह जब आप करुणा के लिए अपना दिल खोलते हैं, तो उपचार के लिए स्वयं एक जरिया भी बन जाते हैं।
3.रोजाना माइंडफुसनेस का अभ्यास करें। जब आप लोगों के आसपास हों, तब वहां मौजूद रहने की कोशिश करें। उनके साथ संवाद करते हैं, तो लोगों की आंखों में देखें। इससे आपको उन्हें बेहतर तरीके से समझने में मदद मिलेगी। जब आप एकाग्रता और फोकस के साथ किसी व्यक्ति को गौर से देखेंगे, तो आपको उनके हाव-भाव, उनके शब्दों में गहराई नजर आएगी। कई चीजें महसूस होंगी, जो वे व्यक्त भी नहीं कर सकते हैं। इससे आप समझ पाएंगे कि वे क्या महसूस कर रहे हैं। आप उनकी जरूरतों के लिए अपना दिल खोलेंगे और उनकी मदद करने के लिए हर संभव कोशिश करेंगे।
4. जब आप दूसरों के साथ विनम्रता और मधुरता से बात करते हैं, तो आप स्वतः ही उनके अंतर्मन से जुड़ कर उनसे नाता जोड़ लेते हैं। इसलिए करुणा को विकसित करने के लिए आपके अंदर विनम्रता का साथ होना भी जरूरी है। किसी की भी मदद करने से पहले हमेशा अपने आप से पूछें कि अगर आप उनकी जगह पर होते, तो आप किसी से क्या उम्मीद करते ?
फिर जो कुछ भी आपकी क्षमता में है, उसे निस्वार्थ भाव से करने की कोशिश करें। दयालुता के छोटे-छोटे काम भी आफको दयालु बनाने में एक लंबा रास्ता तय करेंगे। दूसरी चीज, जो हमें और दयावान बनाएगी वह है क्षमा। अगर आपको यह मुश्किल लगता है, तो कम से कम एक मजबूत इरादा बनाइए कि आप क्षमा करेंगे और क्षमा करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। जब आफ ऐसा करेंगे, तो आपको दूसरों को माफ करने की ताकत मिलेगी।
5.“हेलो आप कैसे हैं?” दूसरों से मिलने के इन सामान्य तरीकों से हम सभी परिचित हैं। आइये अब हम दूसरों से मानसिक रूप से बातचीत करने का एक नया तरीका अपनाएं-एक गहरी सांस लें और अपनी बातचीत शुरु करने से पहले या उस व्यक्ति के बारे में सोचते हुए, मानसिक रूप से दोहराएं, “मैं आपके सुख की दुआ करता हूं।” जब आप हर किसी को आशीर्वाद देने की आदत में पड़ जाते हैं, तो आप हमेशा सच्चाई को पहचान पाएंगे। आपके पूर्वाग्रह या पहले से बनी धारणाएं आपके विचारों या कार्यों को प्रभावित करने की स्थिति में नहीं रहेंगी और कुरुणा भाव उपजेगा।

2 Comments
Great motivation word bro, ,, keep it up man👍👍👍👍
ReplyDeleteThankyou very much...
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